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क्या?शौक़ के दिन रह गये जिंदा कैसे तुम बिन रह गये

क्या?शौक़ के दिन रह गये
जिंदा कैसे तुम बिन रह गये

यादों के गांव के गांव बसे थे
अफ़साने कुछ हसीन रह गए

दिल बद़हवासी के घर बना बैठा
आस्ताँ पर तेरे सिन रह गए

अब इंतज़ार-ए-बसंत भी क्या
ख़्वाब बनफूल बन रह गए

वो शब-ए-माहवश कोई और,
हम तारे गिन-गिन रह गए
-"अमन"

©aman verma
  #lonely #separation #wandering #poeatry