चल लिखते हैं नई कहानी फिर से उजली धूप की कभी सुना ना कभी ना देखा ऎसे अनुपम रूप की फिर से घर की चौखट पर सजे हों तेरे हाथ तेरे गेसुओं में हो रौशन जुगनु बन कर रात हैं सपने जिसमें बंद किये, कुंडी खोलें संदूक की चल लिखते हैं नई कहानी फिर से उजली धूप की गुलदानों पर सजे फूल सब तितली बन उड़ जाएँ और तेरा वो हाथ पकड़ कर तुझ से तुझे मिलाएँ करे आइना भी बातें कुछ तुझ से तेरे स्वरूप की चल लिखते हैं नई कहानी फिर से उजली धूप की पैर तेरे फिर हिना चूम कर रंग उफ़क़ पर घोलें और तेरी साँसों में फिर से फाल्गुन के सुर बोलें खत्म छाँव से लिखी सहर हो जो पाती हैं चूप की चल लिखते हैं नई कहानी फिर से उजली धूप की चल लिखते हैं नई कहानी फिर से उजली धूप की कभी सुना ना कभी ना देखा ऎसे अनुपम रूप की नई कहानी ©Mo k sh K an #sunshine #Hope #mokshkan #rub_of_life #SoMuch_Yonder_Alas