*✍🏻“सुविचार"*📝 📘 *“1/3/2022”*📚 🖋️ *“मंगलवार”* 🌟 “विष” और “अमृत”... “समुंद्र मंथन” किया गया तब भी इन दोनों की ही प्राप्ति हुई, पहले “विष” मिला और फिर “अमृत”,अब जो यह “विष” जो है यह “अमृत” से कई “अधिक शक्तिशाली” है, और इसलिए कई अधिक “घातक” भी, अब समझते है कि “विष” क्या है ? कोई भी “वस्तु” या “भाव” यदि “मात्रा से अधिक” आपके पास हो,“आवश्यकता से अधिक” आपके पास हो तो वह आपके लिए “विष” बन सकता है, चाहे वह “धन” हो,“शक्ति” हो,“मान” हो आदि इत्यादि, “मां पार्वती” यह देख समझ गईं कि “भगवान शिव” के लिए “विष” “घातक” साबित हो सकता है इसलिए उन्होंने अपने “हाथों” से “भगवान शिव”का “गला” पकड़ लिया और “विष” गले में ही रोक लिया। विष के कारण “भगवान शिव” का गला “नीला” हो गया और इसलिए उन्हें “नीलकंठ” कहा जाने लगा, यदि आपके पास कुछ भी ऐसा है जो “मात्रा से अधिक” है तो उसे “बांटना” सीख जाइए,और यदि आपने “बांटना” सीख लिया तो यही भी “विष” आपके लिए “अमृत” बन जाएगा और उनके लिए भी “अमृत” बन जाएगा जिन्हें “सहायता की आवश्यकता” है, इसलिए “बांटना सिखिए” और सदैव “प्रसन्न” रहना सिखिए... *“अतुल शर्मा”*✍🏻 ©Atul Sharma *✍🏻“सुविचार"*📝 📘 *“1/3/2022”*📚 🖋️ *“मंगलवार”* 🌟 #“विष” #“अमृत”