महिला उत्पीड़न एक तरफ जहां महिलाएँ अपने कौशल्य से आसमान छू रही हैं दूसरी तरफ आज के इक्कीसवीं सदी में भी महिलाओं का स्थान समाज में हिला- डुला है। कहीं गर्भ मैं ही अंत, कहीं पाठशाला की समस्या। अगर पढ़ी लिखी हो, तो समस्याओं की एक नई कतार खड़ी हो जाती है। मानसिक व शारीरिक शोषण के किस्से रोज़ ही अखबारों में प्रकाशित होते हैं। एक पढ़ी लिखी महिला को कई बार द्वंद्व युद्ध का सामना करना पड़ता है जब नौकरी और परिवार, ससुराल और मैका, समाज व अपनी पसंद, कई सवालों को सुलझाना पड़ता है। मैं यहां एक टिप्पणी करना चाहूंगी कि कभी खुद को किसी का मोहताज न बनाएं, न ही खुद को किसी और से बेहतर, हर एक जब अपने बलबूते पर खुद को और अपने परिवार को संभालेगा, परिवर्तन भी अनिवार्य है। हम से समाज है, समाज से हम नहीं। #kkpc23 #collabwithकोराकाग़ज़ #कोराकाग़ज़ #विशेषप्रतियोगिता #महिला_उत्पीड़न #चिंतन