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ब्रह्म स्रोत सृजन है उत्तम या संहार है उजाला या

ब्रह्म स्रोत 
सृजन है उत्तम या संहार 
है उजाला या अंधकार 
है छिपा हुआ या मूर्तरूप 
करता यह मन इस पर विचार 

यह सृजन और संहार सृष्टि का
कालचक्र नित चलता है 
हर सृजन गर्भ में स्वयं निरत
संघार का बीज भी पलता है 

यह प्रभा तिमिर हर व्यक्त सुप्त
हैं कई रूप और स्रोत एक 
हर कण जगती का स्व में पूर्ण
हर ऊर्जा स्वयं में है विशेष

शिव हीं है सृजक संहारक भी
कर्ता भोक्ता उद्धारक भी 
बन महायोगी है जुड़ा हुआ
अलिप्त भी वैरागी भी 

वह रिक्त भी है और शून्य वही
शिव विद्या में मूर्धन्य वही
वह काल गले पर धरता है 
व महाकाल बन जीता है 

वही पिता भी बन कर रहता है 
भार्या वियोग भी सहता है 
वह है निर्मल व गरल भी है 
वह कल भी था और कल भी है। 
वह प्रलय काल का तांडव भी 
वह ऋषियों सा मंगल भी है #LoveYouShiva
ब्रह्म स्रोत 
सृजन है उत्तम या संहार 
है उजाला या अंधकार 
है छिपा हुआ या मूर्तरूप 
करता यह मन इस पर विचार 

यह सृजन और संहार सृष्टि का
कालचक्र नित चलता है 
हर सृजन गर्भ में स्वयं निरत
संघार का बीज भी पलता है 

यह प्रभा तिमिर हर व्यक्त सुप्त
हैं कई रूप और स्रोत एक 
हर कण जगती का स्व में पूर्ण
हर ऊर्जा स्वयं में है विशेष

शिव हीं है सृजक संहारक भी
कर्ता भोक्ता उद्धारक भी 
बन महायोगी है जुड़ा हुआ
अलिप्त भी वैरागी भी 

वह रिक्त भी है और शून्य वही
शिव विद्या में मूर्धन्य वही
वह काल गले पर धरता है 
व महाकाल बन जीता है 

वही पिता भी बन कर रहता है 
भार्या वियोग भी सहता है 
वह है निर्मल व गरल भी है 
वह कल भी था और कल भी है। 
वह प्रलय काल का तांडव भी 
वह ऋषियों सा मंगल भी है #LoveYouShiva
bkmishra4361

Bk Mishra

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