मुझको फुरसत कहां मौसम सुहाना देखूं, मै तेरी याद से निकलू तो जमाना देखूं। मुझको फुरसत कहां....।। राहों में खूबसूरत मंजर है तो क्या देखूँ, मै तेरी वादियों से निकलू तो मंजर देखूं। मुझको फुरसत कहां....।। चांदनी रात है बारात तारों की क्या देखूँ, चांद के आगोश से निकलूं तो चांदनी देखूं। मुझको फुरसत कहां....।। कर रही शोरगुल वात शीतल तो क्या देखूँ, मै तेरी खुशबुओं से निकलूं तो मौसम देखूं। मुझको फुरसत कहां....।। दिल पर राज करता हूँ दुनिया में क्या देखू, मै तेरी याद से निकलूं तो जमाना देखूं। मुझको फुरसत कहां....।। #कुशवाहाजी #फुर्सत