शरीर में स्वाभाविक अग्नि का प्रज्वलन सही हो इसके लिए तपोबल बढ़ाना आवश्यक है तपोवन साधन से बढ़ता है इसके शरीर में प्रचलित ऊष्मा मानव चेतना को घेरने वाले नकारात्मक रूपी जोड़े को हटा देती है चेतना जैसे-जैसे बढ़ती है वैसे-वैसे ही मस्तिक में शक्ति का संचार प्रबल होता है चेतना जागृत होने पर व्यक्ति तत्व में सुहाता परिवर्तन आता है जो हमें विपरीत परिस्थितियों में भी नकारात्मक से बचा कर रखता है जिस प्रकार अशुद्धि और बुराइयों से लड़ने के लिए हवा और यज्ञ के रूप में अग्नि प्रज्वलित की जाती है ©Ek villain #ramleela हवा और यज्ञ के रूप में अग्नि प्रचलित की जाती है