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बरसों के बाद आज हाथ आई वो किताब जिसे पढने को फिर स

बरसों के बाद आज हाथ आई वो किताब
जिसे पढने को फिर से मन हुआ बेताब
कभी हंसती कभी रोती यूं ही बीत गई रात
बीते हुए पल होते है कितने खास आज भी मिस करती हूं उन पलों को मैं बेहिसाब।

©Shilpa Modi
  #बेहिसाब