तुम जब भी शाम ढले मुस्कुराओगे, होगी लबों पर हँसी तुम चुप बैठ सब कुछ कह जाओगे, होंगी जब लम्बी रातें तुम शहर की हर गली घूम आओगे, होगी जब भी सर्द लहर तुम चलोगे एक डगर और थम जाओगे, होंगी जब दिन भर की थकान तुम चलते-चलते कहीं भी ठहर न पाओगे, "हिमांश" तुम जब भी शाम ढले मुस्कुराओगे..!!! ©Himanshu Tomar(lawyer) #हिमांश #हिमांशु_तोमर #एक_सफ़र #एक_शहर #ज़िन्दगी #ख़ामोशी