मेरे अस्तित्व को कायम किए शाम और सवेरे यही दो चार किताबें होती हैं हमें हर समय घेरे मेरे परवाज़ को पंख देती हैं उन्मुक्त करती हैं बस यही सीने में राज करती हैं मेरे, बाद तेरे ©Sanjay (श़ाग़िल Shaagil) #आस्तित्व #परवाज़ #जिदंगी #Books