ख़ुदा की बख़्शी इस ज़िन्दग़ी पर फ़ख्र है क्यों की मुझे अपनें से ज़्यादा अपनों की फ़िक्र है राone@उल्फ़त-ए-ज़िन्दग़ी ©मेरी दुनियाँ मेरी कवितायेँ अपनों की फ़िक्र है