जाने अनजाने मुकाम सबके, न जाने कब बटवारा हो गया, कुछ रिश्ते अपने रहे, कुछ ज़रा सा हो गए हटके। दिल लगाना हमने सीख लिया, कई बार दिल रखना भी, वक्त के साथ बदल लिया, मान रख सम्मान करना भी। ज़िद व अहंकार के आगे, टिकता नहीं कोई रिश्ता, इन्सान कभी रिश्तो से न भागे, भगा दे अपना वो हिस्सा। हिम्मत रख ज़रा मुस्कुराए, बिन खलिश बात समझ जाए, करे न शब्दो से वार, समेट ले अपना परिवार । । — % & ♥️ Challenge-831 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।