तेरी हर सोच पर सवाल उठे, तेरे हर फ़ैसले पर बवाल उठे, क्यों, क्योंकि तू एक लड़की हैं, उस कच्चे मकान में तेरे नाम की बस एक ही खिड़की हैं, तुझे बोलने की ना आज़ादी हैं, तेरी हर पूरी बात भी उनके लिए आधी हैं, क्यों, क्योंकि तू एक लड़की हैं, उस कच्चे मकान में तेरे नाम की बस एक ही खिड़की, उसकी गलती भी तेरी ही गलती हैं, तेरे नाम की तो यहाँ बस गलतफमियाँ ही पलती हैं, क्यों, क्योंकि तू एक लड़की हैं, उस कच्चे मकान में तेरे नाम की बस एक ही खिड़की, उनकी नज़रो में तू कमज़ोर हैं, तेरी उठाई हर आवाज़ महज़ एक मामूली सा शोर हैं, क्यों, क्योंकि तू एक लड़की हैं, उस कच्चे मकान में तेरे नाम की बस एक ही खिड़की, पर तू सब पे भारी हैं, तू दुर्गा,तू ही काली हैं, उन हैवानों के गुनाहों की आग फिर से भड़की हैं, हवा दे उस चिंगारी को जो अब के धधकी हैं, क्यों,क्योंकि तू एक लड़की हैं, उस कच्चे मकान में तेरे नाम की भी एक खिड़की हैं।।।। तू शिव की शक्ति हैं, तू मुरारी की भक्ति हैं, उठ खड़ी हो, अपनी आवाज़ को युद्धघोष बना, अब सबकी निगाहें तुझ पर ही अटकी हैं, क्यों,क्योंकि तू एक लडक़ी हैं, उस कच्चे मकान में तेरे नाम की भी एक खिड़की हैं।।।।