परोसते हैं इश्क के शिगूफे लोग माहिर बहुत हैं,, कहते करते हैं कुछ और दर्द भी देते हैं,, फिर कहते हैं तेरे चेहरे-मोहरे आदत बहुत है,,क्या कहूँ मेरे मंसूबे मशहूर हैं सिवाए किसी साथ के✍करण साव #सिवाए_किसी_साथ_के