काश की हम चाय हो जाते,,पानी में गुली चायपत्ती की अंगड़ाई हो जाते. जल जल के हम भी घुलमिल उसके इश्क़ में जाते,,होती तलब फिर मिठास की तो शक्कर की बारिश से उसके होंठ सहलाते. सुना है बहुत हो गयी सर्दी,,सीने से लगा उसे थोड़ा उबाल हम भी उस से लिपट के खाते. निभाते थोड़ा लोंग और इलाइची से यारी,,महक इन दोनों की सर्द सांसों में मिलाते. उत्तर जाते हम उसके होंठो से होकर उसकी रूह तक,,बार बार उठे जो,,ऐसी तलब फिर उसकी चाहत में भर जाते काश की हम चाय हो जाते✍️6.1aman💥💥 #december#nojotonews#nojotohindi#hindishayari#punjabishayari#urdushayari हरेंद्र कुमार Pàñdéy Àñuràg