राजपूती कलम ss राजपूत की तलवार और कवि की कलम कभी कही झुकते नहीं जब गुण हो दोनों साथ में तो हम भी किसी से डरते नहीं और सच कहना हैं हमारी फ़ितरत झूठ हम कहते नहीं इन गोली बंदूको से डरके हम राजपूत जी सकते नहीं और अल्फाज़ो के खरे है इसलिए पिछे मुड़के देखते नहीं देह जाए या प्राण राजपूत पर गुरू बिन झूकते नहीं ।। ।। डर गया शो मर गया ।। "फतसा हिंदू करणसर" ©fateh singh sodha राजपूती कलम