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#OpenPoetry मैंने देखा है तुमको जन्म लेते हुए, तुम

#OpenPoetry मैंने देखा है
तुमको जन्म लेते हुए, तुमको मरते हुए 
ओ तेरा बचपन वो तेरी जवानी
सुख के पल दुख की कहानी
मैंने देखा है 
अपनी छावं में तुम्हे सोते हुए,
खुले आसमाँ में सांस लेते हुए
वो हरियाली वो स्वछता मुझसे है
मेरी कोई भी शिकायत न तुझसे है
मैंने देखा है
माचिस की तीली से लेकर घर की चौखट तक
पालने से लेकर  मरघट तक 
मैं हूँ तो तुम हो 
मैं हूँ तुम्हारी हर सांस में तुम्हारे साथ मे
तुम जाओ चाहे जहाँ पाओगे हर जगह 
तुम्हारे जीवन की हर जरूरत मुझसे है
मैं हूँ तो तुम हो 
खिलवाड़  तो बहुत किया है मुझसे 
फिर भी शिकायत न है कोई तुझसे
हम तो प्राणी है मूक इस धरती के
अपनी पीड़ा कहना आता नही 
जितना अधिकार तुम्हारा है उतना मेरा नही 
फिर भी  ,तुम मेरे लिए प्रिय हो
मैं हूँ  तो तुम हो
मैं हूँ  मैं हूँ मैं हूँ 
जबतक मैं (पेड़ ,पौधे ,बृक्ष,हरियाली प्रकृति  ) हूँ तब तक तुम हो #OpenPoetry
#OpenPoetry मैंने देखा है
तुमको जन्म लेते हुए, तुमको मरते हुए 
ओ तेरा बचपन वो तेरी जवानी
सुख के पल दुख की कहानी
मैंने देखा है 
अपनी छावं में तुम्हे सोते हुए,
खुले आसमाँ में सांस लेते हुए
वो हरियाली वो स्वछता मुझसे है
मेरी कोई भी शिकायत न तुझसे है
मैंने देखा है
माचिस की तीली से लेकर घर की चौखट तक
पालने से लेकर  मरघट तक 
मैं हूँ तो तुम हो 
मैं हूँ तुम्हारी हर सांस में तुम्हारे साथ मे
तुम जाओ चाहे जहाँ पाओगे हर जगह 
तुम्हारे जीवन की हर जरूरत मुझसे है
मैं हूँ तो तुम हो 
खिलवाड़  तो बहुत किया है मुझसे 
फिर भी शिकायत न है कोई तुझसे
हम तो प्राणी है मूक इस धरती के
अपनी पीड़ा कहना आता नही 
जितना अधिकार तुम्हारा है उतना मेरा नही 
फिर भी  ,तुम मेरे लिए प्रिय हो
मैं हूँ  तो तुम हो
मैं हूँ  मैं हूँ मैं हूँ 
जबतक मैं (पेड़ ,पौधे ,बृक्ष,हरियाली प्रकृति  ) हूँ तब तक तुम हो #OpenPoetry
aloksharma5679

ALOK Sharma

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