इश्क़ क्या होता है ये कौन बताएगा मैं फिर से वही इश्के-इस्तेहार, लिखना चाहता हूँ, मैं फिर से वही पुरानी,फूलवालों की सैर सी, बहार दिखना चाहता हूँ। कि मैं फिर से बेमोल-प्रेम में, बिकना चाहता हूँ, थक गया हूँ कि अब,तेरी गोद में टिकना चाहता हूँ। मैं फिर से उसी इश्क के, ना-आसां आग के दरिया में, बेसिसक सिकना चाहता हूँ। रख के सर गोद में तेरी, मेरे सूख गये आंसू रिसना चाहता हूँ। [ शब्द प्रीत ] #CTLLove