तुझे छोड़कर जाना तो आसान रहा, पर तुझ बिन दिल हर पल परेशान रहा! बहारे आईं-गईं कितनी फिज़ाओं में एक तेरे बिन मैं सबसे अंजान रहा! जन्नत की बातों से वास्ता था ही नहीं, मेरा तो सिर्फ तिरी ओर ही ध्यान रहा! हर कोई तो पास था सिवा एक तेरे, तेरी कमी से तन्हा दिल बेजान रहा! तेरे बिना भी धड़क रहा था दिल मेरा, यही देखके मैं ताउम्र हैरान रहा! अपने दिल में थोड़ी जगह देने वाले, चल माना तेरा मुझपे एहसान रहा! मैं ही हूं तेरा सबसे पुराना आशिक़, जिसे तू अब बड़ी देर से पहचान रहा! कविराज अनुराग #ग़ज़ल ✍️#नज़्म