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#OpenPoetry काली तन्हा रातों में भी तेरी याद की ज

#OpenPoetry काली तन्हा रातों  में भी
तेरी याद की ज्योति जलती है
जिस पल सोचूँ तुझको ओ यारा
उस क्षण ही आफत टलती है...

काबिल नहीं हूं इतनी भी 
कि खुद के खुद सम्भल जाऊं
ये दुनिया जब ठुकरा दे तो
खुद में ही तुझको मैं पाऊं 

दुनियावी गर्ज़ों के बोझों में 
जब नींद मुझको ना आती है
ओढूँ तेरी यादों की चादर तब
जो दो जहां की सैर कराती है।

हर याद तेरी है खास बहुत
ऐसी खास और भी बुननी है
मुलाक़ातें जल्दी हो यारा 
मीठी बातें ओर भी सुननी है
तेरी बातें और भी सुननी है...... #OpenPoetry
#OpenPoetry काली तन्हा रातों  में भी
तेरी याद की ज्योति जलती है
जिस पल सोचूँ तुझको ओ यारा
उस क्षण ही आफत टलती है...

काबिल नहीं हूं इतनी भी 
कि खुद के खुद सम्भल जाऊं
ये दुनिया जब ठुकरा दे तो
खुद में ही तुझको मैं पाऊं 

दुनियावी गर्ज़ों के बोझों में 
जब नींद मुझको ना आती है
ओढूँ तेरी यादों की चादर तब
जो दो जहां की सैर कराती है।

हर याद तेरी है खास बहुत
ऐसी खास और भी बुननी है
मुलाक़ातें जल्दी हो यारा 
मीठी बातें ओर भी सुननी है
तेरी बातें और भी सुननी है...... #OpenPoetry