#गज़ल हक की बात वो करते हैं जिनमें हक पाने की काबिलिय़त होती हैं...... समझना तो दूर हैं, ये तो सदियों का दस्तूर है, छोड़ भी दो अब वो बात नहीं रही, इल्तज़ा की कोई गुजारिश नहीं रही, सिर्फ फरिश्तों की फ़रियाद ही रही, कोई काबिल नहीं होगा इस मुकाम से, रेख़्ता बेख़बर हैं, ख़ालिस करो इस सफर को बे बुनियाद सा हैं, हक दो उनको जो काबिल इसके किसान हैं......🖋️ ©Umang #umang_शायरा #farmersprotest