जाने है तो कहाँ रे वो, चित चोरनी। मेरे दिल को चुराकर , कहाँ खो गई। उसका रस्ता देखा जो, इक रोज तो। मेरी मंज़िल चुराकर, कहाँ खो गई। अपने नैनो के खंज़र से, जो हमको घायल किया, खुद को क़ातिल बनाकर, कहाँ खो गयी। उसके सज़दे में जो, मेरा सर झुक गया, ऐसे ही मुस्कुराकर, कहाँ खो गई। मैंने उसपर इक दिन, ग़ज़ल जो लिखी। वो ग़ज़ल गुनगुनाकर , कहाँ खो गई। #कहाँ खो गयी... Nojoto News