#आठ_लाख_की_एफडी (2017) दुःख दुख का आँसू बनाना आँसूओं का सैलाब वक़्त लगता हैं बनाने में उन आँसूओं के सैलाब को घर की नींव तक भरने में फिर उस नींव को हिलाने में वक्त लगता हैं घर गिराने में पैसे उगलती हैं इमारतें बस दर्द थोडा बढाना पडता हैं घर को खंडहर, खंडहर को मलवा वक्त लगता हैं पैसे बनाने में इमारत के गिरे चार साल हो गए एफडी के आए भी चार साल हो गए नोमिनी कोई और पर एफडी तो है वक्त लगा था नाम चढाने में इमारत के जाते ही मालिक चले गए मालिक के गए भी एक साल हो गए सितंबर आते ही कर्म कुकर्म याद आते है वक्त लगता है सब मिटाने में एक के मरण से पहले एक का जन्म आता है सारा किया धरा समक्ष दिख जाता है कोशिश करता है भुलाने की पर वक्त लगता है सब भूलाने में ध्वस्त इमारत की, एक के मौत की आठ लाख की एफडी है छुपता है छुपाता है लिए एफडी हाथों मे वक्त लगता है बहुत कुछ छुपाने में अब हर बरस सितंबर कि शुरुआती ठंड में वो एफडी गरमाहट देती है बढती उम्र बढती रकम का अहसास देती है वक्त लगता है सब हथियाने में #फैरी_डाॅल #एफडी #वक्त_लगता_हैं #Sadharanmanushya ©#maxicandragon #आठ_लाख_की_एफडी (2017) दुःख दुख का आँसू बनाना आँसूओं का सैलाब वक़्त लगता हैं बनाने में उन आँसूओं के सैलाब को