घर पर थी, तो बाहर जाना था अब बाहर हूं तो घर जाना है बच्ची थी तो बड़ा होना था अब बड़ी हो गई तो बचपन जीना है बचपन में आंखो में पैसे कमाने के सपने थे अब पैसे हैं तो खो से गए कहीं वो सारे सपने हैं बचपन में हम थे हमारा परिवार था किस्से थे कहानियां थी आज हम है काम है पर न वो किस्से है न ही वो कहानियां हैं कल को पाने में आज खो दिया आज कल की यादों में फिर आज खो दिया अब न वो कल रहा, न ये कल हमें मिला... Everything fades away