"लेखक" शब्दों को तराशता अपनी दुनिया में जीता, अपने विचारों को एक नया रूप देकर अल्फाज़ की परिभाषा देता। जिनके हाथों में माँ सरस्वती देवी विराजमान, शब्दों को हमेशा न्याय देता वो, अलग अलग विषयों पे हमेंशा लिखता, लेकिन शब्दों की परिभाषा हमेंशा समझाता। अल्फ़ाज़ लिखना इतनी भी आसान बात नहीं है, हर कोई नहीं लिख पाता, लेकिन एक लेखक ही, वाक्य के अनुरूप शब्दों को ढ़ालकर, वाक्य के सातत्य का अनुरक्षण करता है। लेखक वह है, जो नहीं है, उसे भी अपनी काल्पनिक शक्ति से सोच कर, एक अल्फ़ाज़ में ढालता है। एक लेखक वह है, जिसके शब्दों से लोग प्रेरणा, ले के जीवन में सफलता की बुलंदियों को छू जाते हैं। लेखक वो है जिसके शब्दों को सुनकर मुँह पर हसी आ जाती है, और अपने शब्दों से किसी की आँखों में अश्रु भी ला सकता है। अब तो व्यसन हो गया है शब्दों का, आँखे भी शिकायत करें अब, हाथों की उंगलियां भी सूज के कणशे, लेकिन मैं क्या करूं, एक लेखक जो हूं, कोरा काग़ज भी मेरे अल्फ़ाज के लिए तरसे। -Nitesh Prajapati रचना क्रमांक :-4 #collabwithकोराकाग़ज़ #कोराकाग़ज़महाप्रतियोगिता #नववर्ष2022 #विशेषप्रतियोगिता #कोराकाग़ज़ #kknitesh