कहते हैं आईना सच्चाई दिखाता है पर अगर तसल्ली से सोचा जाए तो आईना वह दिखाता है जो हम देखना चाहते हैं हमें जो अच्छा नहीं लगता हैं हम उसे बदल लिया करते हैं जैसे, अगर रोशनी नहीं पसंद तो हम अपने मन मुताबिक रोशनी को बदल लेते हैं, कम करना हो, ज्यादा करना हो, नीला करना हो पीला करना हो, आदि प्रकार से हम उसे अपने हिसाब से बदल लेते हैं। जरा सोचिए कि यहां सच्चाई कहां हैं? चलिए अब हम एक और उदाहरण से समझने की कोशिश करते हैं, जब कभी हम आईने के सामने खड़े होकर ख़ुद को निहारते हैं हम जैसे भी हैं ख़ुद को उस रूप में कभी स्वीकार नहीं करते हैं, बेशक आईना हमें सच्चाई दिखा रहा हो पर हम उसमें कुछ ना कुछ संशोधन जरूर करते हैं, कभी बालों को संवार कर, कभी अपनी शर्ट बदल कर, कभी चेहरे पर कुछ मेकअप कर के, हम किसी ना किसी प्रकार से कुछ ना कुछ परिवर्तन करते हैं और ख़ुद को उस रूप में देखना चाहते है जैसा हमें पसंद हैं, हम कभी भी सच्चाई या अपने मूल रूप को स्वीकार नहीं करते हैं। आईना हमेशा सच्चाई नहीं दिखाता है यह कभी कभी वो दिखाता है जो हम देखना चाहते हैं। आईने की सच्चाई। आईना हमेशा सच्चा नहीं होता। आईना भी झूठ बोलता है। #yqmirror #bestyqhindiquotes #yqbesthindiquotes #aaina #sachhai #yqdidi #yqhindi