अतीत के पन्ने पलटते ही,मेरा बचपन मुस्कुराया उसने दी फिर मधुर आवाज़,जब खेला करते थे दिन-रात कभी आँख मिचौली का खेल तो,कभी गेंद आसमान में देते थे उछाल कभी खो-खो कबड्डी में करते थे कमाल तो कभी चोर-सिपाही बन खुद का मन बहलाया कैरम में खो जाते थे रानी को घर लाते थे,और न जाने कितने खेलों में रम जाते थे बिजली गुल हो जाने पर अंताक्षरी का खेल खेलकर,गीतों को गुनगुनाते थे डर को दूर भगाते थे मात- पिता के संग बैठ कर तारों से बतियाते थे गणित के सारे अंक तारों में नज़र आते थे चंदा मामा दूर के मधुर गीत वो गाते थे,भाई-बहन के संग मिल सपनों में खो जाते थे बीत गए वो दिन सारे लिया रूप अतीत का #bachpan #yadeen #bitakal #bachpankibatten #lamhe