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जितने अपने थे सब पराये थे,हम हवा को गले लगाये थे

जितने अपने थे सब पराये थे,हम हवा को गले लगाये थे 
जितनी कसमे थी सब थी शरमिंदा, जितने वादे थे सब सर झूकाये थे
जितने आँसू थे सब थे बेगाने,जितने मेहमा थे सब बिन बूलाये थे, 
जितनी किताबे थी सब पढी पढाई थी, सारे किससे सूने सूनाये थे 
एक बंजर जमी के सीने मे मैने कूछ आसमा उगाये थे ,सिर्फ दो घूँट प्यास के खातिर उम्र भर धूप मे नहाये थे 
जिस हासिये पे खड़े हुए हैं हम ,वो हासिये खुद बनाये थे हम 
मै अकेला उदास बैठा हुआ था, शाम ने कहकहे लगाये थे..... है गलत.. 
उसको बेवफा कहना हम कहा के धूले धूलाये थे 
आज कांटो भरा मूकददर है, हमने गूल भी बहुत खिलाये थे 
अंजी
जितने अपने थे सब पराये थे,हम हवा को गले लगाये थे 
जितनी कसमे थी सब थी शरमिंदा, जितने वादे थे सब सर झूकाये थे
जितने आँसू थे सब थे बेगाने,जितने मेहमा थे सब बिन बूलाये थे, 
जितनी किताबे थी सब पढी पढाई थी, सारे किससे सूने सूनाये थे 
एक बंजर जमी के सीने मे मैने कूछ आसमा उगाये थे ,सिर्फ दो घूँट प्यास के खातिर उम्र भर धूप मे नहाये थे 
जिस हासिये पे खड़े हुए हैं हम ,वो हासिये खुद बनाये थे हम 
मै अकेला उदास बैठा हुआ था, शाम ने कहकहे लगाये थे..... है गलत.. 
उसको बेवफा कहना हम कहा के धूले धूलाये थे 
आज कांटो भरा मूकददर है, हमने गूल भी बहुत खिलाये थे 
अंजी