ये ऊंचा महल जब ही तो ऊंचा बनता है,, जब देश का मजदूर दिन रात जलता है,, तू तो खुद भी नही चल सकता यहां पर,, ओर कहता है ये देश हमसे चलता है!! मैं छोटा हु तू बड़ा है धन में ना बस,, मगर सबका सूरज साँझ में ढलता है!! तेरा भी लाल है खून मेरा भी लाल है,, तेरा उबलता है उतना ही मेरा उबलता है!! जमी पर जो सोता है आसमा को ओढ़कर,, उसी से तो बस ये सारा जहाँ चलता है!! हर रात पूरी दुनिया मर जाती है एक वक्त,, जिंदा होने का तो सुबह ही पता चलता है!! जो लोग ठोकर खा चुका होते है विपिन,, वो ही तो महोब्बत में सम्भल के चलता है!! Zikr ek @√ #workers