अपने ज्ञान पर जो इतना इठलाती है ; ख्याल कुछ यूँ आता है, बिना पानी का गागरा भी बडा शोर करता है । पता है रुत्वे दिखना का शौक तुझमे बडी है ; चन्द वाह वाहायी के लिये तो तू फड़ फड़ाती है। तेरे हर एक बात से द्वेष का आहट आती है ; "भला चाहती हुँ में तेरा" तू ये झूठ ही बोलती है। तुम्हारे घमंड देखकर दिल कुछ ये सोचता है, इतराने वाला पहाड का कद भी टूटता है। जो तू चाहती है वो कभी ना होगा ; तेरे तारिफ पाने के लीये खुदारी कभी ना झुकेगा, जो सही है वहीं तेरी मुंह पे बोलेगा #spillingheartout