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चल पड़े हैं क़दम उस अंजान राहों पर जिस मंज़िल का म

चल पड़े हैं क़दम उस अंजान राहों पर
जिस मंज़िल का मुझे ना है ख़बर
कैसे बीते वो पल जुदाई के जो काटेंगे हम कल
ये सोच सोच कर सहम जा रहा मेरा मन!!  🌝प्रतियोगिता- 06 🌝
✨✨आज की रचना के लिए हमारा शब्द है ⤵️

🌷"अंजान राहें" 🌷

🌟 विषय के शब्द रचना में होना अनिवार्य नहीं है I कृपया केवल मर्यादित शब्दों का प्रयोग कर अपनी रचना को उत्कृष्ट बनाएं I 

🌟 पहले सावधानी पूर्वक "CAPTION" पढ़ें और दिए हुए शब्द को ध्यान में रखते हुए अपने ख़ूबसूरत शब्दों एवं भावों के साथ अपने एहसास कहें।
चल पड़े हैं क़दम उस अंजान राहों पर
जिस मंज़िल का मुझे ना है ख़बर
कैसे बीते वो पल जुदाई के जो काटेंगे हम कल
ये सोच सोच कर सहम जा रहा मेरा मन!!  🌝प्रतियोगिता- 06 🌝
✨✨आज की रचना के लिए हमारा शब्द है ⤵️

🌷"अंजान राहें" 🌷

🌟 विषय के शब्द रचना में होना अनिवार्य नहीं है I कृपया केवल मर्यादित शब्दों का प्रयोग कर अपनी रचना को उत्कृष्ट बनाएं I 

🌟 पहले सावधानी पूर्वक "CAPTION" पढ़ें और दिए हुए शब्द को ध्यान में रखते हुए अपने ख़ूबसूरत शब्दों एवं भावों के साथ अपने एहसास कहें।
nehapathak7952

Neha Pathak

New Creator