सरकार जो भी सत्ता पर काबिज हो, क्या फर्क पड़ता है। ये जीते तो होगी नफरत,वो जिते तो भी नफरत जश्न में भी रवां है नफरत,गम नें भी होगी नफरत जान पड़ता है,नफरतों का सैलाब आया है। तिलक डरता है टोपी से,टोपी ख़ौफ़ज़दा है तिलक से चाहे जिसका शासन हो,दोनों को लड़ना भिड़ना है। चाहे जितना नाम जप लो,नेताओं का नाम रट लो तुम्हारी नफरत की आग में हीं उनकी खिचड़ी पक जायेगी। बढ़ाओ नफरत और बढ़ाओ नफरत अच्छी खासी गल जायेगी। मगर भाषणों के तड़के से बनी खिचड़ी तुम्हारे हाथ नही आएगी। भला कभी चूल्हे को भोजन मिला है क्या? जिस सोन चिड़िया के लिए ,सालो लड़ी लड़ाई वो लोकतंत्र सिर्फ सपना हो गया। पैसा,ओहदा,ताकत उनका,खुन्नस अपना हो गया। बढ़ाओ नफरत और बढ़ाओ नफरत इस नफरत कि आग में हीं एक दिन चूल्हा भी जलेगा और खिचड़ी भी #सत्ता #nojotohindi