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कैसे लिखूं हर दर्द को मैं, जीवन में पड़े हर सर्द क

कैसे लिखूं हर दर्द को मैं,
जीवन में पड़े हर सर्द को मै,
अवस्था मेरी अति दुर्बल है भगवन,
परम ज्ञानी का भेद बताओ करुणामई,
मेरी हर व्यथा का राग बताओ भगवन।
दिन ढलने को लगा सुबाह के उजाले में ,
रात भी कहती रही अभी पूरा दिन पड़ा है आने को,
लगा हर समय तंग और दर्द भरपूर मुझे,
जब पूछने आई मौत तो कह दिया,
मां बाप हैं फिर कभी ।।

जीवन को फिर से अगली सीधी मिली,
एक व्यथा के बाद अगले की डिग्री मिली,
लोग समझने लगे अमर कथा की कहानी,
हम समझकर जीने लगे,
नही जाएंगे जब तक इक्षा होगी,
एक बार नही बार बार यही बोल रहेंगे,
मां बाप है फिर कभी ।।

©ek anjan lekhak #ramadan #ekanjanlekhak
कैसे लिखूं हर दर्द को मैं,
जीवन में पड़े हर सर्द को मै,
अवस्था मेरी अति दुर्बल है भगवन,
परम ज्ञानी का भेद बताओ करुणामई,
मेरी हर व्यथा का राग बताओ भगवन।
दिन ढलने को लगा सुबाह के उजाले में ,
रात भी कहती रही अभी पूरा दिन पड़ा है आने को,
लगा हर समय तंग और दर्द भरपूर मुझे,
जब पूछने आई मौत तो कह दिया,
मां बाप हैं फिर कभी ।।

जीवन को फिर से अगली सीधी मिली,
एक व्यथा के बाद अगले की डिग्री मिली,
लोग समझने लगे अमर कथा की कहानी,
हम समझकर जीने लगे,
नही जाएंगे जब तक इक्षा होगी,
एक बार नही बार बार यही बोल रहेंगे,
मां बाप है फिर कभी ।।

©ek anjan lekhak #ramadan #ekanjanlekhak