आगे सफर था और पीछे हमसफर था; रूकते तो सफर छूट जाता और चलते तो हम हमसफर से छूट जाते,,,!! मंजिल की भी हसरत थी हमे और उनसे भी मोहब्बत थी; ए दिल तू ही बता...उस वक्त हम क्या करते कहाँ जाते,,,!!! मुद्दत का सफर भी था और बरसो का हम सफर भी था; रूकते तो बिछड जाते और चलते तो बिखर जाते,,,!! बस यूँ समँझ लो,,,! "जनाब" प्यास लगी थी गजब की...मगर पानी मे जहर था; पीते तो मर जाते और ना पीते तो भी मर जाते,,,!!! बस यही दो मसले, जिंदगीभर ना हल हुए; ना नींद पूरी हुई, ना ख्वाब मुकम्मल हुए,,,!! वक़्त ने कहा.....काश थोड़ा और सब्र होता; सब्र ने कहा....काश थोड़ा और वक़्त होता,,,,!!!✍️✍️✍️ aage safar tha pichhe hamsafar tha #love #poem