जाने क्यों ये दिल मेरा है बेकरार आजकल। आंखों को मेरी सनम है इंतजार आजकल।। आपसे यूं दूर रहना अब न मुझको भा रहा, आ भी जाओ है खुला ये अपना द्वार आजकल।। कहते हैं सब लोग मिलता है यहां सबकुछ हमें, इसलिए मैं कर रहा व्रत सोमवार आजकल।। देखिए तो क्या दशा मेरी हुई है इश्क़ में, जैसे कि मैं हो गया हूं साठ पार आजकल।। सोचता था मैं कि जीवन चैन से कट जाएगा, सोचता हूं अब हो कैसे बेड़ा पार आजकल।। सबकी है एक ही कहानी सब हैं मारे हैं इश्क़ के, एक ही हैं नाव के ये सब सवार आजकल।। ©Chanchal Hriday Pathak #andhere #आजकल