सावन में साजन लगाऊं, #मेहन्दी_तेरे_नाम_की, बांहों में भरी-भरी पहनुगी, हरी-हरी चूड़ी कांच की, ओढ़नी ओढुं धानी रंग की, पांव में पाज़ेब हो, छम-छम करती साजन आऊं अंग से अंग लगाऊं तुझे, तुझसे ही श्रृंगार है मेरा, तू ही तो मेरा प्यार है.! #अजय57