गिरा कर अश्क आंखों से, रोना कौन चाहेगा ; निगाहों में बसाकर ख्वाब, सोना कौन चाहेगा । कुमुदिनी एक है, भंवरे हजारों मर रहे प्यारे ; सनम की बेवफाई पर, "ऋषि"मरना न चाहेगा ।। ©RISHI SHUKLA गिरा कर अश्क आंखों से, रोना कौन चाहेगा ; #rishishukla #alone Mayank Raghuwanshi