तुम्हारी फ़िक्र है हर दम, तुम्हारा ज़िक्र है हमदम, यही कहते सभी फिरते, नहीं हैं हम किसी से कम, कहे दीपक पतंगे से, जलूँ मैं भी तेरे संग-संग, किया स्वीकार सबकुछ तो, करूँ किस बात का मैं गम, मनाओ हृदय में उत्सव, ख़ुशी से आँख हो ना नम, हकीक़त सामने हो जब, रहा मन में न कोई भ्रम, यही कहता फिरे सबसे, नहीं हैं हम किसी से कम, हुआ उजियार घट 'गुंजन', सताये फिर न कोई तम, -शशि भूषण मिश्र 'गुंजन' चेन्नई तमालनाडु ©Shashi Bhushan Mishra #फ़िक्र है हमदम#