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तुम्हारी फ़िक्र है हर दम, तुम्हारा ज़िक्र है

तुम्हारी  फ़िक्र  है हर दम, 
तुम्हारा  ज़िक्र  है हमदम, 

यही  कहते  सभी फिरते, 
नहीं हैं हम किसी से कम,

कहे   दीपक   पतंगे   से, 
जलूँ  मैं  भी तेरे संग-संग,

किया स्वीकार सबकुछ तो,
करूँ किस बात का मैं गम,

मनाओ  हृदय  में   उत्सव,
ख़ुशी से आँख हो ना  नम,

हकीक़त  सामने  हो  जब, 
रहा  मन  में  न  कोई भ्रम,

यही  कहता   फिरे  सबसे, 
नहीं  हैं हम किसी से कम,

हुआ उजियार घट 'गुंजन',
सताये  फिर  न कोई तम,
-शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
       चेन्नई तमालनाडु

©Shashi Bhushan Mishra #फ़िक्र है हमदम#
तुम्हारी  फ़िक्र  है हर दम, 
तुम्हारा  ज़िक्र  है हमदम, 

यही  कहते  सभी फिरते, 
नहीं हैं हम किसी से कम,

कहे   दीपक   पतंगे   से, 
जलूँ  मैं  भी तेरे संग-संग,

किया स्वीकार सबकुछ तो,
करूँ किस बात का मैं गम,

मनाओ  हृदय  में   उत्सव,
ख़ुशी से आँख हो ना  नम,

हकीक़त  सामने  हो  जब, 
रहा  मन  में  न  कोई भ्रम,

यही  कहता   फिरे  सबसे, 
नहीं  हैं हम किसी से कम,

हुआ उजियार घट 'गुंजन',
सताये  फिर  न कोई तम,
-शशि भूषण मिश्र 'गुंजन'
       चेन्नई तमालनाडु

©Shashi Bhushan Mishra #फ़िक्र है हमदम#