कल एक मित्र ने जब अपनी व्यथा स्थिति बतानी चाहि तब आँख अपने आप नम हो आई दर्द उसका उसके होंठो से बयां हो रहा था शायद वो अंदर ही अंदर रो रहा था उसने बताया वो दर्द में अपनी ज़िन्दगी को देख आया खेल जिन्दगी का शायद उसके अब समझ आया तो उसी सन्दर्भ में लिखने की कोशिश की है, यकीन है आपको पंक्तियाँ पसंद आएंगी