बचा कुछ नहीं मैं धड़कता रहा हूँ । यही रास्ते मैं भटकता रहा हूँ । हक़ीक़त में नज़दीक हम जो नहीं है । न मालूम कैसे महकता रहा हूँ ख़ुमारी तेरे वस्ल की जो न उतरी बहुत देर तक मैं छलकता रहा हूँ मुझे अब नशा कोई चढ़ता नहीं था तुझे याद करके बहकता रहा हूँ । भले लाख हो इस जहाँ में सितारे निगाहों में रखके चमकता रहा हूँ । मेरी बात हो जाये तुम से कभी जो अकेले बहुत मैं चहकता रहा हूँ । #love_like🤗 Soumya Jain Lakshmi singh