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बर्बरीक, जिन्हें खाटू श्याम के नाम से जा

बर्बरीक, जिन्हें खाटू श्याम के नाम से जाना जाता है,यद्यपि महाभारत में उनका यह नाम कहीं दिखाई नहीं देता] महाभारत के एक महान योद्धा थे। वे घटोत्कच और अहिलावती (मोरवी) के सबसे बड़े पुत्र थे। उनके अन्य भाई अंजनपर्व और मेघवर्ण का उल्लेख भी महाभारत में दिया गया है। बर्बरीक को उनकी माता मोरवी ने यही सिखाया था कि सदा ही पराजित पक्ष की तरफ से युद्ध करना और वे इसी सिद्धान्त पर लड़ते भी रहे। बर्बरीक को कुछ ऐसी सिद्धियाँ प्राप्त थीं, जिनके बल से पलक झपते ही महाभारत के युद्ध में भाग लेनेवाले समस्त वीरों को मार सकते थे।इसे लगता है कि वे अर्जुन, करण, भीष्म पितामह और कृष्ण से भी बड़े योद्धा रहेंगे जब वे युद्ध में सहायता देने आये, तब इनकी शक्ति का परिचय प्राप्त कर श्रीकृष्ण ने इनसे इनके शीश का दान मांग लिया था। इस दोरान पांडवो से और कृष्ण से क्या मंत्रणा हुई इसका इतिहास अज्ञात है। महान बर्बरीक युद्ध को क्यों देखना चाहते थे यह भी अज्ञात ही प्रतीत होता है।वे चाहते तो प्रतीक्षा करतेमहाभारत युद्ध की समाप्ति तक युद्ध देखने की इनकी कामना श्रीकृष्ण के वर से पूर्ण हुई और इनका कटा सिर अन्त तक युद्ध देखता और वीरगर्जन करता रहा। इन्हें तीन बाण धारी भी कहा जाता है, क्योंकि इनके पास ऐसी धनुर्धारी विद्या थी जिससे की महाभारत की पूरी युद्ध मात्र तीन तीरों में ही समाप्त हो जाए।
कुछ कहानियों के अनुसार बर्बरीक सूर्यवर्चा नामक यक्ष थे, जिनका पुनर्जन्म एक मानव के रूप में हुआ था। बर्बरीक भीमसेन और हिडिम्बा के पोते और घटोत्कच और मौरवी के पुत्र थे। [1] इनके गुरु श्री कृष्ण थे और बर्बरीक भगवान शिव के परम भक्त थे।

©Kumar Vinod Baba Khatu Shyam kon the ?
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Baba Khatu Shyam kon the ? #Mythology

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