Nojoto: Largest Storytelling Platform

वो दिन भी कितने अच्छे थे जब माँ सूत देती थी और पाप

वो दिन भी कितने अच्छे थे
जब माँ सूत देती थी
और पापा कूट देते थे
फिर भी अपन चौड़े में रहते थे,

जवानी आते ही मानो जैसे
सूताई-कूटाई पर अंकुश लग गया
तरसते रह गए उस मार के भीतर स्नेह को
और अजीब सा एक डर मन में घर कर गया,

डर था भविष्य बनाने का 
जिंदगी को संवारने का
उलझनों भरी विषम परिस्थितियों से
खुद से खुद को महफूज़ निकालने का,

मंजिल के पास पहुँच कर फिर
पाकर उसे खुश तो हो गए
पर एक भाव जो अपने थपेड़ों में समेटे थे
वो दिन भी कितने अच्छे थे।

 #YQdidi

#वो_दिन - @NaPoWriMo

#FreakySatty

#SattyPoetries
वो दिन भी कितने अच्छे थे
जब माँ सूत देती थी
और पापा कूट देते थे
फिर भी अपन चौड़े में रहते थे,

जवानी आते ही मानो जैसे
सूताई-कूटाई पर अंकुश लग गया
तरसते रह गए उस मार के भीतर स्नेह को
और अजीब सा एक डर मन में घर कर गया,

डर था भविष्य बनाने का 
जिंदगी को संवारने का
उलझनों भरी विषम परिस्थितियों से
खुद से खुद को महफूज़ निकालने का,

मंजिल के पास पहुँच कर फिर
पाकर उसे खुश तो हो गए
पर एक भाव जो अपने थपेड़ों में समेटे थे
वो दिन भी कितने अच्छे थे।

 #YQdidi

#वो_दिन - @NaPoWriMo

#FreakySatty

#SattyPoetries