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क्या खूब _मजबूरियां थी मेरी भी, अपनी #ख़ुशी को #छोड़

क्या खूब _मजबूरियां थी मेरी भी,
अपनी #ख़ुशी को #छोड़ दिया,
उसे #खुश देखने के लिए !

©मोहित श्रीवास्तव माही
  #dhundh khus raho jaha raho