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मैं जिस बात से जलता था जो मुझे अच्छा नही लगता था इ

मैं जिस बात से जलता था
जो मुझे अच्छा नही लगता था
इस बात का एहसास उसे भी था
वरना क्यों आकर उसने सफाई दी
की मेरी मजबूरी समझा करो
देर हो जाती है आजकल वापसी में
कोई गाड़ी भी नही मिलती
जल्दी घर पहुचने का दवाब होता है
मजबूरन न चाह कर भी उसके साथ
जाना होता है
जरा सोचो ऑटो में क्या जरूरी है
साथ मेरे रोज कोई शरीफ सा
तुम्हारी तरह बैठेगा 
नही बोल कर भी बोल गया
जो चाहेगा बेइंतहा मगर मुह से
कभी कुछ नही बोलेगा
इसलिए नाराज नही होना
ये जिंदगी है होता है
हमने दुनिया देख रखी है
इसिलए कहा आते वक्त इंतज़ार करता हूँ
भाग आता हूँ
और फिर जब मिलता वक्त आ ही जाती हूँ
उल्टे तुम नही आते
मेरा यक़ीन करना
हा तुम्हारी नाराजग्गी नही सह पाता
इसीलिए सफाई में आ जाता हूँ
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©ranjit Kumar rathour
  हमे समझा करो

हमे समझा करो #लव

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