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काश कि महफ़िल सजती रहती, रोज़ मेरे मैख़ाने में, र

काश कि महफ़िल सजती रहती, रोज़ मेरे मैख़ाने में, 
रोज़ बहे "मस्ती की मदिरा", हर दिन नये बहाने से.!.!.! #mastikimadiera
काश कि महफ़िल सजती रहती, रोज़ मेरे मैख़ाने में, 
रोज़ बहे "मस्ती की मदिरा", हर दिन नये बहाने से.!.!.! #mastikimadiera