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अब सब... बीता समय हो चुका पुराने साथी; पुराने संबं

अब सब...
बीता समय हो चुका
पुराने साथी;
पुराने संबंध
 ढूँढने से भी नहीं मिलते अब...!
जिन गलियों में पले बढ़े
जहाँ खेले-कूदे              ( Munesh sharma)
वो बचपन की यादें
शरारतों से भरे पल
 ढूँढने से भी नहीं मिलते अब...!
वो आस-पड़ॊस के हर घर का
अपना घर होने का एहसास
सभी की अधिकार पूर्ण डाँट
वो बड़ों का आदर-सम्मान
वो अपनापन और दुलार
ढूँढ़ने से भी नहीं मिलते अब....!
वो सारे रिश्ते-नाते;वो तीज़-त्योहार
वो बड़ा आँगन;वो चूल्हा-चौका
वो "बड़ा-सा खानदान"
ढूँढ़ने से भी नहीं मिलते अब....!
इतने गुम हो चुके 
"हम-तुम" जिंदगी में
कि...
अतीत की यादों में
बालपन की बातों में
अपने ही घर में
"अपनों के बीच"
"शायद" हम भी
ढूँढ़ने से भी नहीं मिलते अब...!

मुनेश शर्मा
(मेरे❤️✍️)


 एक दौर था जब कहने की ज़रूरत नहीं पड़ती थी और दोस्त हाज़िर हो जाते थे। अब प्लान बनाकर भी कोई नहीं मिलता।
सारे त्यौहार नीरस होते जा रहे हैं।
#नहींमिलतेअब #collab #yqdidi
   #YourQuoteAndMine
Collaborating with YourQuote Didi
अब सब...
बीता समय हो चुका
पुराने साथी;
पुराने संबंध
 ढूँढने से भी नहीं मिलते अब...!
जिन गलियों में पले बढ़े
जहाँ खेले-कूदे              ( Munesh sharma)
वो बचपन की यादें
शरारतों से भरे पल
 ढूँढने से भी नहीं मिलते अब...!
वो आस-पड़ॊस के हर घर का
अपना घर होने का एहसास
सभी की अधिकार पूर्ण डाँट
वो बड़ों का आदर-सम्मान
वो अपनापन और दुलार
ढूँढ़ने से भी नहीं मिलते अब....!
वो सारे रिश्ते-नाते;वो तीज़-त्योहार
वो बड़ा आँगन;वो चूल्हा-चौका
वो "बड़ा-सा खानदान"
ढूँढ़ने से भी नहीं मिलते अब....!
इतने गुम हो चुके 
"हम-तुम" जिंदगी में
कि...
अतीत की यादों में
बालपन की बातों में
अपने ही घर में
"अपनों के बीच"
"शायद" हम भी
ढूँढ़ने से भी नहीं मिलते अब...!

मुनेश शर्मा
(मेरे❤️✍️)


 एक दौर था जब कहने की ज़रूरत नहीं पड़ती थी और दोस्त हाज़िर हो जाते थे। अब प्लान बनाकर भी कोई नहीं मिलता।
सारे त्यौहार नीरस होते जा रहे हैं।
#नहींमिलतेअब #collab #yqdidi
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