खट्टी - मीठी टकरार से सारा जीवन महक जाऐं यूँ ही प्रेम की धूप - छाँव में दिन गुजर जाऐं क्यों अपनों के बीच कड़वाहटे लाऐं छोटे-बड़े रिश्तों को प्यार की माला में पिरोयें घर आँगन को रिश्तों से सजाऐं तो चलों ,,रिश्तों में जो आई दीवार उसे गिराऐं दिल में माँफी एक नई उम्मीद जगाऐं रिश्तों को खुशनुमा ,मोहब्बत से आशियाना सजाऐं हवा में ताज नहीं ,सपनों सा खूबसूरत ताज इक नया जहाँ ,,चाँद-तारों से सजा ऐसा घर बनाऐं ।।। 🎀 Challenge-208 #collabwithकोराकाग़ज़ 🎀 यह व्यक्तिगत रचना वाला विषय है। 🎀 कृपया अपनी रचना का Font छोटा रखिए ऐसा करने से वालपेपर खराब नहीं लगता और रचना भी अच्छी दिखती है। 🎀 विषय वाले शब्द आपकी रचना में होना अनिवार्य नहीं है। आप अपने अनुसार लिख सकते हैं। कोई शब्द सीमा नहीं है।