लेकर चले हम ज़िन्दगी। क़ाफ़िलों में ज़िन्दगी।। कभी धूप के,कभी छाँव के-सिलसिलों में ज़िन्दगी। काटी है उम्र मीलों में,यायावरी के पहियों पर। देखी हैं चालें वक्त की-,रवि-चाँद की घड़ियों पर। जीत जाती,मात खाती,यूँ दिलों में ज़िन्दगी। लेकर चले हम ज़िन्दगी। क़ाफ़िलों में ज़िन्दगी।। है रास्तों से राब्ता,जाने नही कब से पता। न नक़्शा है,न नाम है,देता हमें जो सब जता। गुमशुदा सी और जुदा सी,मंज़िलों में ज़िन्दगी। लेकर चले हम ज़िन्दगी,क़ाफ़िलों में ज़िन्दगी।। हवाओं ने सहलाया है,तूफ़ानों से उजड़ी है। खुद ही खुद के सामने,सही ग़लत हो खड़ी है। बँट गई है फ़रिश्तों में ,क़ातिलों में ज़िन्दगी। लेकर चले हम ज़िन्दगी। क़ाफ़िलों में ज़िन्दगी।। कभी धूप के,कभी छाँव के-सिलसिलों में ज़िन्दगी।😍 ══════❥❥══════ ©purvarth #cityoflove