अक्सर महसूस होता है जो बयाँ उससे करना मुश्किल है, ज़ुबाँ पर लफ़्ज़ों की कमी है पर लबरेज़ ख़ूब मेरा दिल है। ये तुम्हारी आहटें हैं या बहारों ने मुझको गले लगाया है, मैं उलझन में हूँ ज़रा के इक़ मुद्दत बाद तू याद आया है। ख़्याल तेरा अब भी वैसा ही है पर तू न जाने कैसी होगी, चेहरे पर वक़्त की लक़ीरें क्या फ़ितरत भी तब्दील होगी। वो ख़ून से भी लाल रंग तुम्हारी रंगत पर फ़ब्ता बहुत था, तुम्हें देख मन तसव्वुर किसी दुल्हन सा करता बहुत था। तकनीक के इस ज़माने में मैं ख़त और हर्फ़ का मोहताज़, ख़ामोश पन्ने बड़ा शोर करेंगे जब बंद होगी हर आवाज़। ♥️ Challenge-917 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।