दूज का चांद बड़ा वक्त गुजर गया चांद देखते देखते , समझ नहीं आता मन्नत किस बात की हो, चांदनी तो यूं ही मिल जाती है बिना मन्नत भी, चांदी मांग लूं अगर कदर मेरे जज़्बात की हो,, #दिलेर